
ऐसा कहते हुए बिरजू की माँ बिरजू के पास पहुची और उसे उठाने लगी उठ बेटा फिर भेड़ चराने भी तो जाना है देर करेगा तो तेरे बाबा नाराज होंगे ।
बिरजू एक 14 -15 साल का लड़का था शरीर से पतला दुबला पर मेहनती बहुत था मूल रूप से बिरजू और उसका परिवार मंगाता थे मतलब मांग कर खाने वाले पर अब ये भेड़ भी पालने लगे है बिरजू के पिता मजदूरी करते है गरीबी है बिरजू पढ़ने नहीं जाता बस दिन भर भेड़ चराता है ।
वैसे तो बिरजू के यहाँ 25 से 30 भेड़े है पर बिरजू का लगाव एक भेड़ से कुछ ज्यादा था और बिरजू ने उसका नाम रखा था मैना।
मैना दिखती भी सुन्दर है बड़े कान भोला सा मुख धने बाल बिरजू मैना के साथ दिनभर खेलता कभी कभी अपने खाने से एक आधी रोटी मैना को भी दे दिया करता था ।
बिरजू वैसे तो था बहुत सीधा साधा पर अपनी सभी भेड़ो से प्यार बहुत करता था किसी कुत्ते या कोई बड़े सींग वाले जानवर की क्या मजाल जी बिरजू के रहते हुये भेड़ो को सता सके।
माँ को चिल्लाते सुन बिरजू एकाएक हक्का बक्का सा होकर उठता है मासूम से चहरे पर नीद ख़राब करने की जल्लाहट पर बिरजू करात भी तो क्या भेड़ चराने भो तो जाना है बाहर आकर देखता है तो सूरज लाल था जैसे अभी निकला हो बिरजू माँ से कहता है देखो अभी तो सूरज भी पूरी तरह से नहीं जागा है तुम भी मुझे सबेरे से उठा देती हो दरअसल रात को नोखे चाचा के यहाँ सिनेमा लगा था बिरजू देररात तक सिनेमा देखता रहा और सुबह माँ ने भी जल्दी उठा दिया ।
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कुछ देर हुई थी की माँ कलेवा (खाना) कपडे में बांध का देती है अब बिरजू दिनभर के लिए भेड़ चराने को जाने बाला जो था।
बिरजू घर ले निकलने वाला ही था की साहूकार चला आता है आया क्यों होगा वहीँ अपना पैसा लेने कभी बिरजू की माँ बीमार हुई तो बापू ने उधार लिया था न जाने क्या हिसाब है 10 साल से पैसा लोटा रहे कर्ज ख़त्म होता ही नहीं।
ऐ बिरजू की माँ बिरजू का बापू कहा है अभी घर में नहीं है आयंगे तो बता देंगे आप आए थे ।
साहूकार की बेईमानी बिरजू समझता था जैसे ही साहूकार को देखा झल्ला उठता पर कर कुछ न पाता ।
साहूकार के जाने के बाद बिरजू भेड़ लेकर जंगल की और निकल पड़ा पर रास्ते भर भगवान को कोसता रहा यदि हमें पाल नहीं सकता तो पैदा ही क्यों किया सारी रहमत बस उस साहूकार पर अरे भगवान तू है भी या नहीं यदि है तो हमारा साथ क्यों नहीं देता है ।
बिरजू ऐसा सोच रहा था शायद आप सभी के मन में भी कभी न कभी ऐसे विचार जरूर आते होंगे ।
बिरजू घर ले निकलने वाला ही था की साहूकार चला आता है आया क्यों होगा वहीँ अपना पैसा लेने कभी बिरजू की माँ बीमार हुई तो बापू ने उधार लिया था न जाने क्या हिसाब है 10 साल से पैसा लोटा रहे कर्ज ख़त्म होता ही नहीं।
ऐ बिरजू की माँ बिरजू का बापू कहा है अभी घर में नहीं है आयंगे तो बता देंगे आप आए थे ।
साहूकार की बेईमानी बिरजू समझता था जैसे ही साहूकार को देखा झल्ला उठता पर कर कुछ न पाता ।
साहूकार के जाने के बाद बिरजू भेड़ लेकर जंगल की और निकल पड़ा पर रास्ते भर भगवान को कोसता रहा यदि हमें पाल नहीं सकता तो पैदा ही क्यों किया सारी रहमत बस उस साहूकार पर अरे भगवान तू है भी या नहीं यदि है तो हमारा साथ क्यों नहीं देता है ।
बिरजू ऐसा सोच रहा था शायद आप सभी के मन में भी कभी न कभी ऐसे विचार जरूर आते होंगे ।
बिरजू ऐसे सोचते हुआ काफी आगे चला आया था घास का बड़ा मैदान था किनारे एक झील मैदान के बीच में एक बरगद का पेड़ बिरजू अपनी भेड़ो को रोज यही चराता था ।
बिरजू बरगद के नीचे बैठ आराम करने लगा कल देर तक जगा था और सुबह माँ ने भी जल्दी उठा दिया था इसलिए नींद उसकी आखो में थी और ठंडी हवा में पता ही नहीं चला कब बिरजू की आँख लग गयी रोज ऐसा न होता था ।
मैना बार बार बिरजू का चक्कर लगा रही थी । थोडा देर में वो भी चरने चली गयी सभी भेड़े तो यही समझ रही है वे उनके चरवाहे की देख रेख में है और इस लिए सभी निश्चिन्त थी एका एक झाड़ियो पर कुछ हलचल होती है और एक भेड़िया निकल कर आता है ये नई बात नहीं ऐसे भेड़िये पहले भी शिकार के लिए आते रहे है पर बिरजू चौकन्ना रहता था और मोटे तगड़े डंडे से वो मार मरता की भेड़िया दूर दूर तक नजर नहीं आता पर इस बार क्या बिरजू तो गहरी नींद में है पुरे झुंड को बिरजू का ही इंतजार था मैना को तो विश्वास और भी जयादा है उसे लगता बिरजू अभी आये जाता है और वो खुद ही भेड़िये से दोदो हाथ के लिए आगे अ जाती है मैन को आगे आते देख सारा झुण्ड उसके साथ आगे आता है इन्हें इतना विश्वास न था की हम भेड़िये को हरा सकते है पर जब तक उन का रकछक बिरजू नहीं आता भेड़िया का निवाला बनने से तो अछा है की उस से लड़ ले । भेड़िया जोर जोर से गुर्रा रहा था ।इस गुर्राहट की आवाज से बिरजू की नींद खुल जाती है सामने जो हो रहा है उसे देख वो भोचक्का हो जाता है एका एक मन किया की जाकर भेड़िया को दो लठ लगाये पर एका एक उसके कदम ठहर जाते है गले से मनो आवाज ही नहीं निकल रही थी वह बस देख रहा था केवल और केवल देख रहा था ।
भेड़े ये सोच कर के उनका चरवाहा उनके साथ है एक साथ भेड़िया पर हमला करती है 25 -30 भेड़ो के एक साथ हमला करते देख भेडिया भाग खड़ा होता है
हमारे साथ भी ऐसा होता है जब भी हम इस विश्वास से की हमारा ईस्वर हमारे साथ है के साथ संघर्ष करते है तो असंभव लगने वाले काम को भी आसानी से कर लेते है ।
पेड़ के नीचे खड़ा बिरजू भी शायद ये समझ गया है वो भेड़ो की तरफ दोडता है मैना भी उसके तरफ दौड़ लगती है बिरजू उसे गोद में उठा लेता है उसकी आँखों से आंसू बह रहे है वो सारी भेड़ो को लेकर घर की ओर चल पड़ता है उसकी आँखो में आंसू जरूर है पर अब उसे जिंदगी या भगवान से कोई शिकायत नहीं है ।
बिरजू बरगद के नीचे बैठ आराम करने लगा कल देर तक जगा था और सुबह माँ ने भी जल्दी उठा दिया था इसलिए नींद उसकी आखो में थी और ठंडी हवा में पता ही नहीं चला कब बिरजू की आँख लग गयी रोज ऐसा न होता था ।
मैना बार बार बिरजू का चक्कर लगा रही थी । थोडा देर में वो भी चरने चली गयी सभी भेड़े तो यही समझ रही है वे उनके चरवाहे की देख रेख में है और इस लिए सभी निश्चिन्त थी एका एक झाड़ियो पर कुछ हलचल होती है और एक भेड़िया निकल कर आता है ये नई बात नहीं ऐसे भेड़िये पहले भी शिकार के लिए आते रहे है पर बिरजू चौकन्ना रहता था और मोटे तगड़े डंडे से वो मार मरता की भेड़िया दूर दूर तक नजर नहीं आता पर इस बार क्या बिरजू तो गहरी नींद में है पुरे झुंड को बिरजू का ही इंतजार था मैना को तो विश्वास और भी जयादा है उसे लगता बिरजू अभी आये जाता है और वो खुद ही भेड़िये से दोदो हाथ के लिए आगे अ जाती है मैन को आगे आते देख सारा झुण्ड उसके साथ आगे आता है इन्हें इतना विश्वास न था की हम भेड़िये को हरा सकते है पर जब तक उन का रकछक बिरजू नहीं आता भेड़िया का निवाला बनने से तो अछा है की उस से लड़ ले । भेड़िया जोर जोर से गुर्रा रहा था ।इस गुर्राहट की आवाज से बिरजू की नींद खुल जाती है सामने जो हो रहा है उसे देख वो भोचक्का हो जाता है एका एक मन किया की जाकर भेड़िया को दो लठ लगाये पर एका एक उसके कदम ठहर जाते है गले से मनो आवाज ही नहीं निकल रही थी वह बस देख रहा था केवल और केवल देख रहा था ।
भेड़े ये सोच कर के उनका चरवाहा उनके साथ है एक साथ भेड़िया पर हमला करती है 25 -30 भेड़ो के एक साथ हमला करते देख भेडिया भाग खड़ा होता है
हमारे साथ भी ऐसा होता है जब भी हम इस विश्वास से की हमारा ईस्वर हमारे साथ है के साथ संघर्ष करते है तो असंभव लगने वाले काम को भी आसानी से कर लेते है ।
पेड़ के नीचे खड़ा बिरजू भी शायद ये समझ गया है वो भेड़ो की तरफ दोडता है मैना भी उसके तरफ दौड़ लगती है बिरजू उसे गोद में उठा लेता है उसकी आँखों से आंसू बह रहे है वो सारी भेड़ो को लेकर घर की ओर चल पड़ता है उसकी आँखो में आंसू जरूर है पर अब उसे जिंदगी या भगवान से कोई शिकायत नहीं है ।
शायद अब वो कुछ ऐसा करेगा जो उनकी माँगता की उनकी पहचान बदल सके।
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