HIV/AIDS in hindi . aids full form in hindi hiv aids information in hindi

एड्स  (AIDS )

 पूरा नाम - full FORM of aids in hindi
एक्वार्ड  इम्युनो  डिफीसिएंसी  सिन्ड्रोम 

  

एड्स क्या होता है ? what is aids in hindi

वास्तव में एड्स एक तरह का ऐसा रोग हैं जिसका स्वयं का प्रभाव तो कम होता है परन्तु यह मानव शरीर  के प्रतिरछा  तंत्र को  कमजोर कर देता है 
   और जब व्यक्ति  इम्यून सिस्टम कमजोर  है  तब छोटी से छोटी  बीमारी भी मुश्किल से ढीक होती है  और यदि ठीक हो  भी जाती है  तो फिर से रोगग्रसित होने में समय नहीं लगता है 
इस तरह एड्स से ग्रसित व्यक्ति  कई तरह  की बीमारियों  से घिर  जाता है  तथा उसका पुनः ठीक होना बहुत मुश्किल हो जाता है 

तो ये होता कैसे है ?how to be aids in hindi

एड्स  HIV नमक वायरस के कारन होता  है । जिसका  का पूरा नाम  ह्यूमन  इम्युनो वायरस है  जैसे नाम से ही स्पस्ट है की यह व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है । 

तो इसका इतिहास क्या है ?  history of aids in hindi

वैज्ञानिक खोजो से यह ज्ञात हुआ है की यह रोग सबसे पाहिले अफ्रीका के चिम्पान्जियो में  होता  था  तथा  संक्रमण स्वरूप यह इंसानो तक फैल गया । 
 इंसानो में यह सबसे पाहिले 1981 में अमेरिका में खोज गया था इसके बाद 1983 में लुक मैन्टेग्नाऐयर ने HIV के बारे में बताया । 
भारत  में  सबसे पाहिले 1986 में चैन्नई में खोज गया था । 

HIV प्रभाव कैसे है how to effect hiv in hindi

दरअसल  HIV संक्रमित व्यक्ति के शरीर में 6 -12 बर्षों  तक निष्क्रय रूप से रहत है  यानि कोई व्यक्ति  अगर एड्स  वायरस से  आज संक्रमित होता है तो 6 - 10 वर्षों तक वह सामान्य व्यक्ति की तरह ही दिखेगा  इसके बाद ही उसमे एड्स के प्रभाव  दिखाई देंगे । 

तो एड्स का व्यक्ति किन किन चरणों से गुजरता है ? stage of aids in hindi

HIV  से संक्रमित   में एड्स  तीन चरण प्रभावी होते है 
1 . प्राथमिक चरण --- HIV  संक्रमित व्यक्ति की सहायक T - cell को मारता  है जिस से एंटीबाडी का निर्माण प्रभावित्  होता है  
 प्रथम चरण  में  कोई करैक्टर नजर नहीं   आता है  केवल 1 से 2  %   लोगो ही  लिम्फ ग्रंथियों में सूजन , खुजली युक्त दादरे  दिखई देते है परंतु कुछ समय बाद वो भी ठीक हो जाते है 
***** इस  चरण में यदि HIV रक्त  टेस्ट करते है तो  पॉसिटिव  रिजल्ट आते है यानि ब्लड टेस्ट से से पता  लगाया  जा  सकता है की एड्स है या नहि। 
2.. द्वतीय चरण --- लिम्फ की सूजन 3 माह या उससे अधिक के लिए हो सकती है  यह चरण घातक  नहीं  होता पर व्यकि छोटे छोटे रोगों से बार बार ग्रसित होता  रहता  है 
एड्स रिलेटेड कॉम्प्लेस बनते है । 
3.. अंतिम चरण ---- एड्स पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है  यह अवस्था HIV संक्रमण से 6 से 8 बर्षो के बाद दिखई देती है । 

एड्स के सामान्य  कैरक्टर्स  क्या होते है ? characters of aids in hindi

यदि कोई व्यक्ति एड्स से ग्रसित है तो व्यक्ति में बार - बार  दस्त लगना ,कमजोर याददाश ,शरीर  के वजन का लगातार काम होना ,इलाज के बाद भी बीमारियों का ठीक न  होना, चक्कर व बुखार आना , संवाद करने में कठनाई महसूस करना , लासिका  ग्रंथियों का सूज जाना , रात  को पसीना अधिक आना , त्वचा  में घाव हो जाना तथा ठीक न होना जैसे कैरेक्टर्स दिखाई देते है । 

यदि यह  संक्रामक रोग है  तो इसका प्रसारण कैसे होता है ? propagation of aids in hindi

पाहिले  लोगो को  इस बात को समझ लेना चाहिए की यह रोग हाथ मिलाने ,गले लगने ,छीकने ,खाँसने ,एक साथ नदी तालाब में नहाने, एक दूसरे का सामान  जैसे -बाथरूम ,टाबल , फर्नीचर ,बिस्तर ,के उपयोग से बिलकुल भी नहीं फैलता है  इसलिए एड्स रोगियों  के प्रति घृणा  की भावना  न रखे । 
 एड्स का प्रसारण मुख्यता -----un  सिक्योर  सेक्स ,संक्रमित ब्लड ,वीर्य ,ट्रांप्लांट अंग ,दूषित सिरिंज , संक्रमित माता  से शिशु में (अपरा द्वारा ,जब शिशु जनन नलिका से गुजरता है तब ,या दुग्ध पान से ),संक्रमित व्यक्ति के द्वरा उपयोग  की  गयी  सेविंग रेजर ,ब्रश  के इस्तमाल  आदि से हो सकता है। 

तो इसके प्रसारण   कैसे  रोक  जा  सकता   है ?  

1. 70 -80 % एड्स un सिक्योर सेक्स की वजह  से  ही होता है इस पर नियंत्रण किया जाना चाहिए ।
2. यदि कोई ब्लड बैंक से  ब्लड ले   रहा है तो उपयोग से पाहिले उसकी जाँच करा लेना चाहिए । 
3.. एक सिरिंज का केवल  एक  बार उपयोग करना चाहिए । 
4 .. अन्य के उपयोग किये रेजर ,ब्लेड आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए ।  

  यदि एड्स से संक्रमित होने की आशंका  क्या  चाहिए ? test for aids in hindi 

यदि  एड्स  की  आशंका  है तो  इसकी पुस्टि के लिए दो तरह के टेस्ट  होते है 

1.. एलिसा 
2.. बेस्टर्न ब्लास्ट टेस्ट 
दोनों ही टेस्ट संक्रमण  के 2 -12 सप्ताह के अंदर रिजल्ट  दिखाते  है 2 सप्ताह से कम का संक्रमण  होने   पर   नेगटिव  रिजल्ट आते है । 

 यदि कोई व्यक्ति HIV पॉसिटिव   है तो क्या करना चाहिए ? what should do if anyone hiv positive in hindi

किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करे  वैसे एड्स के लिए AZT -अजिडोथायमिडेन  का टीका  प्रचलन में है 
विश्व में एड्स के 40 -45 टीके  टेस्टिंग के  दौर में है । 

हमारा योगदान 

सतर्कता  ही security की  गारंटी है ।  
जन जागरूकता, समाज में  सही  जानकारियॉ का प्रसार,  भ्रामकता से मुक्ति ,यही हमरा योगदान हो  सकता है । 
  
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    धन्यवाद। 

एक सन्यासी और एक वेश्या-vaigyatm

ये कहानी है स्वामी विवेकानंद की, एक अनुभव की , और एक घटना जो एक वेश्या के साथ घटित हुई।
बात उन दिनों की है जब स्वामी विवेकानंद की ख्याति दूर -दूर तक फ़ैल चुकी थी । तब राजस्थान के एक राजा ने स्वामी जी को अपने यहाँ बुलाया । स्वामी जी ने प्रस्ताव स्वीकार भी किया और वे गए भी ।
पर राजा साहब ने स्वामी जी के सम्मान में एक कार्यकम का आयोजन किया और उन्होंने इस कार्यकम में गाने के लिए दिल्ली से एक वेश्या को बुला लिया।
जैसे ही ये बात स्वामी जी को पता चली की उनके सम्मान में हो रहे कार्यकम में एक वेश्या आई है उनका मन चिंता से भर गया भला वेश्या का एक सन्यासी के कार्यकम में क्या काम।
दरअसल कहानी इससे भी पुरानी है स्वामी विवेकानंद का घर जिस जगह में था वहा तक पहुचने के लिए वेश्याओ के एक मोहल्ले से गुजरना पड़ता था और स्वामी जी सन्यासी थे और वेश्याओ के मुह्हले से गुजरना वे सन्यास धर्म के विरुद्ध मानते थे ।
इसलिए स्वामी जी को  घर तक पहुचने के लिए 2 मील का चक्कर लगाना पड़ता था।
अब आप समझ सकते है जो व्यक्ति वेश्याओ के मोहल्ले से गुजरता तक नहीं है वो भला ऐसे कार्यकम में कैसे जाता हुआ भी यही उन्होंने कार्यकम में जाने से मना कर दिया ।
पर इसके बाद जो हुआ उसने स्वामी जी का जीवन बदल दिया ।

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स्वामी जी कार्यकम में नहीं आ रहे है यह बात वेश्या को भी पता चली तब उसने "" प्रभु जी मेरे अवगुण चित न धरो"" गाना प्रारम्भ कर दिया । और गाने की ध्वनी स्वामी विवेकानन्द तक पहुची और वो ये गीत सुन तुरंत अंदर कार्यकम स्थल में चले गए स्वामी जी को देख उसकी आँखो से आंसू छल-छल कर बहाने लगे ।
इस घटना के बाद स्वामी विवेकानंद को दो अनुभूति हुई ।
पहली ये की वेश्या को देख उनके मन में न आकर्षण था न प्रतिकर्षण तब उन्हें यह अनुभूति हुई की अब वे पूर्ण सन्यासी बन चुके है ।

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एक भारतीय जो आईंस्टीन से भी अधिक बुद्धिमान था -वैज्ञात्म


और दूसरा ये के सच्चा पारश वही है जी लोहे को सोना बनाता है लोहे के स्पर्श से स्वयं लोहा नहीं बनता
उसी तरह एक सन्यासी एक योगी बुरे से बुरे व्यक्ति को भी सज्जन बना देता है उसका काम ही यही है और ऐसा करते हुए उसे यदि ये लगता है की उसका सन्यास धर्म खंडित होगा तो अभी उसमे सच्चे सन्यासी के गुण पैदा नहीं हुऐ है।
वे समझ चुके थे की एक सन्यासी का उद्देश्य समाज को शुद्ध करना है और ऐसा करने में उसे सम्मान की हानि होने का भय है तो वो सन्यासी ही नहीं ।
क्योकि सन्यासी का उद्देश्य सम्मान प्राप्त करना नहीं है।



एक भारतीय जो आईंस्टीन से भी अधिक बुद्धिमान था -story of swami vivekananda in hindi


story of swami vivekananda in hindi

11 सितम्बर 1893 जगह अमेरिका एक महासभा हजारो लाखो लोग सैकड़ो विद्वान और यही कोई 29 से 30 साल का भारतीय नवयुवक इसने भी अपना नाम वक्तव्य देने के लिए नामांकित करा रखा है जैसे - जैसे इसकी बारी नजदीक आ रही है  घबराहट बढ़ती जा रही है लो अब नाम भी बोल दिया गया है नवयुवक अपनी जगह से उठता है इसके माथे में पसीना आ रहा है तो क्या ये अभी वक्तव्य देने के लिए तैयार नहीं है शायद पर वो बोलता है।
और उसने वक्तव्य की शुरुआत ही कुछ ऐसे शब्दों के साथ किया की सारी सभा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी ।
वे शब्द थे मेरे # मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनो# और वो नवयुवक कोई नहीं बल्कि स्वामी विवेकानंद थे ।
स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए ही महा सभा में हिंदुत्व के विचार को रखने के लिए पर महासभा के तरफ से उन्हें बुलाया नहीं गया था ।
जब वो भारत में थे तब उन्होंने विश्व धर्म महासभा के आयोजन के बारे में सुना था तभी से उन्होंने अमेरिका जाने का निर्णय ले लिया था । तब एक भारतीय राजा ने इन्हें अमेरिका तक जाने में सहायता की पर सवाल था की महा सभा के मंच तक कैसे पंहुचा जाये उस समय संयोग से स्वामी जी की मुलाकात एक प्रोफ़ेसर से हुई जो पहले भी स्वामी विवेकानंद से मिल चुके थे और उनके गहन और क्रांतिकारी विचारो से परचित थे उन्होंने अथक प्रयास कर स्वामी जी को महा सभा में अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति दिलवाई।
प्रारम्भ में इसका बहुत विरोध हुआ पर जब तक स्वामी जी ने अपने विचार दुनिया के सामने रखे तब जो लोग प्रारम्भ में उनका विरोध कर रहे थे अब उनके अनुयायी बन चुके थे।
ये तो हुई उस घटना की बात जिसके बाद न केवल भारत बल्कि दुनिया ने ये जाना की कोन है स्वामी विवेकानंद ।
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पर यदि उनकी बौद्धिक छमता की बात की जाये तो वो आईंस्टीन से भी कही अधिक थी इस से जुड़ा एक वाक्य में आप को बताना चाहता हु।
स्वामी जी किताबे बहुत अधिक पढ़ते थे उनके शिष्य पुस्तकालय से रोज एक नई किताब लाते और ली हुई पुरनी किताब वापस जमा करते।ऐसा रोज होता था तब रोज -रोज की इस अदला बदली से पुस्तकालय वाला परेशान हो गया और किताब देने से मना कर देता है उसका कहना था की इतनी मोटी - मोटी किताबे कोई एक दिन में पढ़ ही नहीं सकता और आप रोज किताब बदलने आ जाते हो आप बस हमें परेशान करना चाहते हो ।
ये सारी बाते शिष्य ने स्वामी जी से बतायी तब स्वामी जी जो किताब बदलनी थी उसे लेकर स्वयं पुस्तकालय पहुच गए और वहा जाकर पुस्तक बदलने को कहा जब उस व्यक्ति ने वही बात दोहराई तो स्वामी जी ने कहा की यदि आप को लगता है की हमारा उदेध्य आप को परेशान करना है तो आप इस किताब में से जो चाहे वह आप पूछ लीजिये यदि मै नहीं बता पाया तो दोबारा किताब लेने नहीं आऊंगा।
तब व्यक्ति ने जो जो पूछा स्वामी जी ने हर प्रश्न का उत्तर दिया तथा यह तक बताया की यह बात किताब के किस पृष्ठ में है ।

इन्हें भी पढ़े।

यह देख की कोई कैसे इतनी मोटी किताब को एक दिन में इस तरह पढ़ सकता है वह अचंभित हो गया ।
उसने स्वामी जी से छमा मांगी और उनका अनुयायी बन गया।
वास्तव में स्वामी जी से जुड़े जितने भी लोग है कही न कही वो इस बात का जिक्र जरूर करते है के स्वामी जी की बौद्धिक छमता अद्भुत थी।
पर उन्होंने अपनी खोज का केंद्र केवल और केवल ईस्वर को रखा और वे इस पर सफल भी हुए।
वो एक ऐसे व्यक्तिव थे वो बास्तव में हिंदुत्व को वास्तविक अवस्था में लोगो तक पहुचते है।
रबीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा है की यदि हिन्दू हिंदुत्व  और हिंदुस्तान को समझना है तो आप स्वामी विवेकानंद को समझिये।
सत्य ही है इनके विचार तर्क के आधार पर खड़े है और इतने शक्तिशाली है की वो किसी भी साधरण इंसान को असाधरण बना सकते है ।
आप एक व्यक्ति जिन्हें लोग अन्ना हजारे कहते है को जरूर जानते होंगे आप उनसे पूछिये तो अन्ना को अन्ना उन्ही स्वामी विवेकानन्द की एक किताब ने बनाया है
ये बात वे खुद कहते है ।
तो आप सोचिये की जिनके विचार इतने प्रभावी है वो खुद कितने प्रभावी रहे होंगे।
स्वामी जी ने वास्तव में जीवन भर क्या किया इसे जानने के लिए एक नए स्वामी बिवेकानंद की जरुरत है यह बात स्वयं स्वामी जी ने कही है।
बचपन में स्वामी विवेकानंद जितने शरारती थे युवा होते होते वो उतने धैर्य और विवेक के परिचायक बने ।
वो मानते थे की सभी जीव ईस्वर का ही एक रूप है जात धर्म या समुदाय के आधार पर इनमें भेद करना स्वयं ईस्वर का अपमान है उन्होंने आडम्बरो  का घोर विरोध किया वे पुरोहित प्रथा का भी विरोध करते थे।
स्वामी विवेकानंद ने कहा मंदिर में बैठे 33 करोड़ देवी देवताओ को हटा देना चाहिए और वहा 33 करोड़ भूखे और असहाय लोगो को बिठा उन्हें भोग लगाओ ।
यही ईस्वर की आराधना होगी।
वास्तव में स्वामी विवेकानंद को समझ लोग जीवन को बदल सकते है दुःख निराशा कष्ट सब अज्ञानता के मूल से जन्म लेते है ।
यदि स्वामी जी के बारे में बात की जाये तो हम सालो तक कर सकते है लिखा जाये तो ग्रन्थ कम पड़ जायँगे।
पर से भी सच है वो व्यक्ति जिसका मष्तिस्क आईंस्टीन से भी तेज था उन्हें समझे के लिए हमें 1 प्रतिशत दिमाग तो इस्तेमाल करना ही होगा।

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चिड़िया का संघर्ष- prerak kahaniya

आज सुबह मैंने देखा मेरे घर के सामने भंडारा चल रहा था लंबी टेबल खीर से भरे बड़े बड़े गंज और टेबल के ऊपर खीर से भरे दोने जैसे ही में बाहर निकला एक दोस्त आवाज देकर मुझे बुलाता है हम दोनों खीर बाटने में सहयोग करने लगे थोडा देर बाद हम फ्री हो गए हो हम दोनों ने भी एक एक दोना खीर ली और खाने लगे दरअसल खाली दोना (प्लास्टिक की कटोरी) फेकने का डब्बा थोडा दूर रखा था तो दोस्त ने दोना ऐसे ही फेक दिया न केवल उसने बल्कि लगभग 95 प्रतिसत लोगो ने बाहर ही दोना फेके थे तब मेने अपने दोस्त को दोना कचड़े के डिब्बे में फेकने का कहा । तो उसने कहा सभी तो बाहर फेक रहे है दो लोगो के डब्बे में में फेकने से क्या फर्क पड़ जायेगा ।
तब मैंने उसे एक कहानी सुनाई जो मेने कही सुन रखी थी।

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अपाची नाम का एक विशाल घनघोर जंगल हुआ करता था जंगल बहुत बड़ा था हजारो किलोमीटर में फेल हुआ उस जंगल पर भाँति भाँति के जीव जंतु रहते थे हाथी घोडा शेर बाघ हिरन सर्प चिड़िया और न जाने क्या क्या ।
एक बार गर्मियों के दिनों पर जोर दार तूफान आया और बॉस के पेड़ आपस में रगड़ने से उन पर आग लग जाती है और ये आग सारे जंगल में फैलने लगाती है आग को फैलता देख सभी जानवर जंगल से बाहर आ जाते है और जंगल को जलता हु देखते और सभी शोक व्यक्त करते है कुछ तो आग का जिमेदार ईश्वर दो बताते है और कहते है भगवान को ऐसा नहीं करा चाहिए था।
इस बीच एक चिड़िया अपनी चोच में झील से पानी भर्ती और जंगल की आग पर डाल देती । ये बो बार बार कर रही थी ये देख सारे जानवर आश्चर्य चकित होते है और फिर उस चिडिया पर जोर जोर से हस्ते है ।
और इस बीच हाथी कहता है तुम हजार बार में जितना पानी डालोगी उतना तो मैं अपनी सूंड से एक बार में ही डाल सकता हु ।
तब चिड़िया कहती है मुझे ये बात पता है और ये भी पता है की मेरे पानी डालने से ये आग नहीं बुझाने वाली ।
पर इतना पता है की जब कभी इस जंगल में इस आग का इतहास लिखा जायेगा तब मेरा नाम समर्थ न होते हुआ भी जंगल के लिए  संघर्ष करने वालो में और आप का नाम समर्थ होते हुऐ भी तामासा देखने वालो में लिया जायेगा।
दोस्तों यही तो हमारे साथ भी होता है की आखिर हमारे बस ईमानदार होने से , हमारे बस कचड़ा कूड़ेदान में डालने से , हमारे बस पानी बचाने से क्या होगा ।
बहुत कुछ होता है मेरे दोस्त बहुत कुछ।
इतने बड़े बड़े राजाओ के होते हुये छोटे से राज्य झांसी, की रानी , या आजाद हिन्द फौज बनाने वाले नेताजी ने ने यही सोचा होता तो शायद ही हम आजाद होते ।
फिर क्यों ना 1857 की क्रांति असफल रही हो या असफल आजाद हिन्द फौज हो इनका नाम हम गर्व से लेते है क्योकि से तमासा देखने वालो में नहीं संघर्ष करने वालों में से थे।
फर्क पड़ता है मेरे दोस्त फर्क पड़ता है ।
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बिरजू चरवाहे की भेड़ - prerak kahaniya


बसंत का मौसम था अब वो सब कुछ जो पुराना लगता था कुछ नया नया सा लगने लगा था पेड़ो पर चहचहाते पंछी मधुरता के साथ बहने वाली हवा सब कुछ मनो जन्नत सा सुबह जा वक्त था किसी के चिल्लाने की आवाज आती है बिरजू ऐ बिरजू उठता नहीं है उठ देख बेटा सबेरा हो गया है ।
ऐसा कहते हुए बिरजू की माँ बिरजू के पास पहुची और उसे उठाने लगी उठ बेटा फिर भेड़ चराने भी तो जाना है देर करेगा तो तेरे बाबा नाराज होंगे ।
बिरजू एक 14 -15 साल का लड़का था शरीर से पतला दुबला पर मेहनती बहुत था मूल रूप से बिरजू और उसका परिवार मंगाता थे मतलब मांग कर खाने वाले पर अब ये भेड़ भी पालने लगे है बिरजू के पिता मजदूरी करते है गरीबी है बिरजू पढ़ने नहीं जाता बस दिन भर भेड़ चराता है ।
वैसे तो बिरजू के यहाँ 25 से 30 भेड़े है पर बिरजू का लगाव एक भेड़ से कुछ ज्यादा था और बिरजू ने उसका नाम रखा था मैना।
मैना दिखती भी सुन्दर है बड़े कान  भोला सा मुख धने बाल बिरजू मैना के साथ दिनभर खेलता कभी कभी अपने खाने से एक आधी रोटी मैना को भी दे दिया करता था ।
बिरजू वैसे तो था बहुत सीधा साधा पर अपनी सभी भेड़ो से प्यार बहुत करता था किसी कुत्ते या कोई बड़े सींग वाले जानवर की क्या मजाल जी बिरजू के रहते हुये भेड़ो को सता सके।
माँ को चिल्लाते सुन बिरजू एकाएक हक्का बक्का सा होकर उठता है मासूम से चहरे पर नीद ख़राब करने की जल्लाहट पर बिरजू करात भी तो क्या भेड़ चराने भो तो जाना है बाहर आकर देखता है तो सूरज लाल था जैसे अभी निकला हो बिरजू माँ से कहता है देखो अभी तो सूरज भी पूरी तरह से नहीं जागा है तुम भी मुझे सबेरे से उठा देती हो दरअसल रात को नोखे चाचा के यहाँ सिनेमा लगा था बिरजू देररात तक सिनेमा देखता रहा और सुबह माँ ने भी जल्दी उठा दिया ।

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कुछ देर हुई थी की माँ कलेवा (खाना) कपडे में बांध का देती है अब बिरजू दिनभर के लिए भेड़ चराने को जाने बाला जो था।
बिरजू घर ले निकलने वाला ही था की साहूकार चला आता है आया क्यों होगा वहीँ अपना पैसा लेने कभी बिरजू की माँ बीमार हुई तो बापू ने उधार लिया था न जाने क्या हिसाब है 10 साल से पैसा लोटा रहे कर्ज ख़त्म होता ही नहीं।
ऐ बिरजू की माँ बिरजू का बापू कहा है अभी घर में नहीं है आयंगे तो बता देंगे आप आए थे ।
साहूकार की बेईमानी बिरजू समझता था जैसे ही साहूकार को देखा झल्ला उठता पर कर कुछ न पाता ।
साहूकार के जाने के बाद बिरजू भेड़ लेकर जंगल की और निकल पड़ा पर रास्ते भर भगवान को कोसता रहा यदि हमें पाल नहीं सकता तो पैदा ही क्यों किया सारी रहमत बस उस साहूकार पर अरे भगवान तू है भी या नहीं यदि है तो हमारा साथ क्यों नहीं देता है ।
बिरजू ऐसा सोच रहा था शायद आप सभी के मन में भी कभी न कभी ऐसे विचार जरूर आते होंगे ।
बिरजू ऐसे सोचते हुआ काफी आगे चला आया था घास का बड़ा मैदान था किनारे एक झील मैदान के बीच में एक बरगद का पेड़ बिरजू अपनी भेड़ो को रोज यही चराता था ।
बिरजू बरगद के नीचे बैठ आराम करने लगा कल देर तक जगा था और सुबह माँ ने भी जल्दी उठा दिया था इसलिए नींद उसकी आखो में थी और ठंडी हवा में पता ही नहीं चला कब बिरजू की आँख लग गयी रोज ऐसा न होता था ।
मैना बार बार बिरजू का चक्कर लगा रही थी । थोडा देर में वो भी चरने चली गयी सभी भेड़े तो यही समझ रही है वे उनके चरवाहे की देख रेख में है और इस लिए सभी निश्चिन्त थी एका एक झाड़ियो पर कुछ हलचल होती है और एक भेड़िया निकल कर आता है ये नई बात नहीं ऐसे भेड़िये पहले भी शिकार के लिए आते रहे है पर बिरजू चौकन्ना रहता था और मोटे तगड़े डंडे से वो मार मरता की भेड़िया दूर दूर तक नजर नहीं आता पर इस बार क्या बिरजू तो गहरी नींद में है पुरे झुंड को बिरजू का ही इंतजार था मैना को तो विश्वास और भी जयादा है  उसे लगता बिरजू अभी आये जाता है और वो खुद ही भेड़िये से दोदो हाथ के लिए आगे अ जाती है मैन को आगे आते देख सारा झुण्ड उसके साथ आगे आता है इन्हें इतना विश्वास न था की हम भेड़िये को हरा सकते है पर जब तक उन का रकछक बिरजू नहीं आता भेड़िया का निवाला बनने से तो अछा है की उस से लड़ ले । भेड़िया जोर जोर से गुर्रा रहा था ।इस गुर्राहट की आवाज से बिरजू की नींद खुल जाती है सामने जो हो रहा है उसे देख वो भोचक्का हो जाता है एका एक मन किया की जाकर भेड़िया को दो लठ लगाये पर एका एक उसके कदम ठहर जाते है गले से मनो आवाज ही नहीं निकल रही थी वह बस देख रहा था केवल और केवल देख रहा था ।
भेड़े ये सोच कर के उनका चरवाहा उनके साथ है एक साथ भेड़िया पर हमला करती है 25 -30 भेड़ो के एक साथ हमला करते देख भेडिया भाग खड़ा होता है
हमारे साथ भी ऐसा होता है जब भी हम इस विश्वास से की हमारा ईस्वर हमारे साथ है के साथ संघर्ष करते है तो असंभव लगने वाले काम को भी आसानी से कर लेते है ।
पेड़ के नीचे खड़ा बिरजू भी शायद ये समझ गया है वो भेड़ो की तरफ दोडता है मैना भी उसके तरफ दौड़ लगती है बिरजू उसे गोद में उठा लेता है उसकी आँखों से आंसू बह रहे है वो सारी भेड़ो को लेकर घर की ओर चल पड़ता है उसकी आँखो में आंसू जरूर है पर अब उसे जिंदगी या भगवान से कोई शिकायत नहीं है ।
शायद अब वो कुछ ऐसा करेगा जो उनकी माँगता की उनकी पहचान बदल सके।
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जीवन में उथल पुथल है तो ये आर्टिकल आप के लिए है-vaigyatm

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अब देखिये समस्या पैदा कहा से होती है दुःख निराशा पीड़ा मानसिक अशांति कुछ खोने का डर कही असफल होने का डर और ये चीजे जीवन पर उथल पुथल मचा देती है
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एक कहानी कछुऔ के प्रजनन की दरअसल बंगाल की खाड़ी में कछुओं की एक प्रजाति रहती है अब होता ये है की मादा कछुआ लाखो की संख्या में हर साल भारत के रेतीले तटो पर करोडो की संख्या पर अंडे देती है क्योकि मैं बायोलॉजी स्टूडेंट हु मे ये पढ़ रहा था यहाँ तक तो ठीक था एक समय के बाद अन्डो से बच्चे निकले तो सारे बच्चे निकलते ही समुद्र की तरफ भागते है
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खुछ पा लेना जीत नहीं कुछ खो देना हार नहीं स्वामी विवेकानन्द ने भी यही बात पुरे दम थम के साथ दुनिया के सामने रखी थी ।
एक बार रुक कर विचार तो करो मैं एक उदाहरण देता ही चाइना की एक ऑनलाइन रिटेलर कंपनी अलीबाबा ये कंपनी का सालाना टर्नओवर 12 लाख करोड़ था यानि मध्यप्रदेश सरकार का 10 सालो का बजट तो इतनी बड़ी कंपनी बनाने के बाद एक बातचीत में इसके मालिक ने कहा की अलीबाबा को बनाना उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती थी वे सारा जीवन ये समझते रहे की वो अलीबाबा को चला रहे है पर वास्तविकता ये थी की कंपनी उन्हें चला रही थी वो सारा जीवन उस कंपनी को बनाने में लगे रहे पर बुढापे के इस दौर में उन्हें समझ आया की कंपनी तो बन गयी लेकिन पर इसमें उन चीजो न पा सके जो वास्तव में हर इंसान को चहिये वो इनके किसी काम न आ सकी मरते वक्त उनके मन में मलाल होगा की कास अगर ये बात उन्हें पहले समझ आ जाती तो मरते वक्त और जीने की इक्छा नहीं होती  जिंदगी से मलाल नहीं होता
इसलिए मेरे भाई एक पल के लिए रुक सोच तूहै तो क्यों है मैं हु तो क्यों है हमारा अस्तित्व है तो है क्या।
यदि आज से आप ने इस प्रश्न पर सोचना सुरु कर दिया तो आप की आधी समस्या ख़त्म।
अब जो दूसरी चीज है वो है माइंड
जब आप जीवन पर गहन विचार कर लेंगे तो आप जीवन व्यर्थ के संघर्ष करना बंद कर देनगे आप को पता होगा की आप को जिंदगी के 80 सालो या 100 सालो में क्या पाना है क्या हासिल करना है इसी को शास्त्रो में मुक्ति का मार्ग कहा गया है।
पर अब माइंड का क्या करे ये वो बला जो हमको कण्ट्रोल करती रहता है तो करना क्या है आप इस बात को सांझो की ये काम कैसे करता है
जो हमारा मन है हमसे खेलता रहता है जैसे हम खुश होते है क्यों क्योकि मन कहता है हँसो दुखी होते है क्योकि मन कहता है रोओ
बास्तव में मन बड़ा उलझा हुआ है हम खुश चीजो वस्तूऔ से होते है आप के दोस्त के पास कार है और वो बड़ा खुश है मन को तुरंत ये लगने लगा की वो खुश उस कार की वजह से है बकील को लगता है डॉक्टर बड़ा खुश है डॉक्टर को लगता टीचर बड़ा खुश वास्तव में ख़ुशी चीजे नहीं ख़ुशी समझ से आती है ।
और हम कभी अपने मन को समझ ही नहीं पाये और जिस दिन आप इस मन को समझ गए उस दिन आप फ़टे जूते पहन के भी खुश रहोगे ।
आप समझो मन को वरना ये मन आप को खुश रहने के नाम पर बन्दर की तरह एक डाली से दूसरी दूसरी से तीसरी पर बस कूदता रहेगा ।
और आप ने मन को समझ लिया ने दूसरा स्तर पार कर
लिया ।
अब तैयारी और सबसे पूर्ण चीज आप की इंद्रिया आप क्या बोले क्या सुने क्या देखे क्या महसूस करे इस पर आप का नियंत्रण ।
आप में से कितनो को ये पता होगा की सच बोलना चाहिए मुझे लगता है 100 प्रतिशत लोगो को लेकिन कितने है जो ये करते है ।
ये अंतर बस इन्द्रियों पर नियंत्रण न होने के कारण आप ने जान लिया जीवन क्या है मन कैसे काम करता है पर इन्द्रियों पर नियंत्रण नहीं कर पाया तो ये  वैसा ही है जैसे आप के पास कार तो है आप को ड्राइव करना नहीं आता ।
तो कार आप के क्या काम की ।
तो ये वो तीन चीजे है जो आप के जीवन को बदल कर रख देंगी जिंदगी आप को एक खेल नजर आएगा और सबसे बड़ी बात मरते वक्त आप यही सोचोगे की वाह मजा आ गया क्या जिंदगी थी ।
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Thanks.

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